बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 राजनीति शास्त्र बीए सेमेस्टर-1 राजनीति शास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 राजनीति शास्त्र
प्रश्न- भारतीय लोकसभा अध्यक्ष की स्थिति, शक्तियों तथा कार्यों की विवेचना कीजिये।
उत्तर-
भारतीय लोकसभा अध्यक्ष स्थिति, शक्तियाँ तथा कार्य
भारत में ब्रिटेन की भाँति संसदीय लोकतन्त्र अपनाया गया है। संसदीय शासन प्रणाली में द्विसदनीय व्यवस्थापिका (विधायिका) होती है। भारत में विधायिका अर्थात् 'संसद' के ये दो सदन क्रमशः 'लोकसभा' और 'राज्यसभा' हैं। लोकसभा संसद का निम्न सदन है, इसे लोक सदन भी कहते हैं। इसका गठन जनप्रतिनिधियों से मिलकर होता है। भारत में लोकसभा नीति निर्माण व शासन, प्रशासन की दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण सदन है। लोकसभा के विविध कार्यों के सम्पादन एवं व्यवस्था बनाए रखने की दृष्टि से 'लोकसभा अध्यक्ष का पद होता है।
लोकसभा अध्यक्ष को 'स्पीकर' उपनाम से सम्बोधित किया जाता है। लोकसभा अध्यक्ष का पद अत्यधिक महत्वपूर्ण और सम्मान का पद है। भारतीय संसद में 'लोकसभा अध्यक्ष की स्थिति, शक्तियों और कार्यों का उल्लेख निम्नांकित शीर्षकों के अन्तर्गत किया जा सकता है
भारतीय लोकसभा अध्यक्ष की स्थिति - लोकसभा अध्यक्ष की स्थिति का विश्लेषण किया जाये तो स्पष्ट होता है कि लोकसभा अध्यक्ष की स्थिति सदन की शक्ति, प्रतिष्ठा व गौरव के प्रतीक की है। जैसाकि श्री एम. एन. कौल लिखते हैं कि - "यद्यपि साधारणतया अध्यक्ष केवल अध्यक्षता करता, निगरानी करता तथा विवादों को नियन्त्रित करता है, लेकिन उसकी स्थिति इतनी महत्वपूर्ण है कि किसी भी सकट में उसकी शक्तियाँ राजनीतिक दृष्टि से बहुत अधिक महत्वपूर्ण हैं. प्रश्नों, संशोधनों इत्यादि के प्रस्तावों को स्वीकृति देना तथा कार्यविधि के नियमों को कड़ाई से लागू करना। ये शक्तियाँ साधारण प्रतीत होती हैं, परन्तु संकट की स्थिति में उसकी शक्तियों तथा संसद पर उसका प्रभाव अत्यधिक होता है।"
इसी प्रकार सुश्री माया दुबे लिखती हैं कि “यद्यपि भारतीय स्पीकर का पद ब्रिटिश स्पीकर के नमूने पर आधारित है. परन्तु भारतीय स्पीकर की शक्तियाँ इंग्लैण्ड के स्पीकर की तुलना में बहुत ज्यादा हैं। इस प्रकार यह दृष्टिगोचर होता है कि भारतीय लोकसभा अध्यक्ष की स्थिति लोकसभा के सर्वोच्च कार्याधिकारी, निगरानी कर्त्ता व नियन्त्रक की है। इसके साथ-साथ वह लोकसभा के सदस्यों के लिए एक श्रेष्ठ सम्माननीय व्यक्तित्व भी होता है और एक आदर्श प्रेरणास्रोत के रूप मे भी कार्य करता है। लोकसभा अध्यक्ष के पद की श्रेष्ठता की बात करें तो यह सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पद के समान है। चूँकि संविधान के अनुच्छेद 93 के अनुसार लोकसभा के सदस्य स्वयं में से ही अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव करते हैं, अतः ऐसे में लोकसभा अध्यक्ष को सत्ता पक्ष व विपक्ष दोनों की स्वीकार्यता व सम्मान प्राप्त होता है।
तुलनात्मक दृष्टि से देखा जाए तो भारतीय लोकसभा अध्यक्ष की स्थिति अमेरिका और इंग्लैण्ड के अपने समकक्षों के मध्य की है। इसका तात्पर्य यह है कि भारतीय लोकसभा अध्यक्ष ब्रिटिश स्पीकर की भाँति अपने राजनीतिक दल व राजनीतिक जीवन से विरत नहीं होता है परन्तु वह अमेरिकी समकक्ष की भाँति अपने राजनीतिक दल के प्रति पक्षपात व पूर्वाग्रह से भी दूर रहता है। इस प्रकार भारत में लोकसभा अध्यक्ष यद्यपि एक राजनीतिक व्यक्ति ही होता है, जो प्रथमतया लोकसभा सदस्य के रूप में निर्वाचित होकर सदन में आता है, तथापि वह पद ग्रहण करने के साथ ही दलगत राजनीति से पृथक होकर अपने उत्तरदायित्वों का निर्वाह करता है। वह सदन में सभी दलों को समान अवसर प्रदान करता है और निष्पक्षतापूर्वक सदन की कार्यवाहियों का संचालन करता है।
भारतीय लोकसभा अध्यक्ष की शक्तियाँ व कार्य
भारतीय लोकसभा अध्यक्ष की शक्तियों व कार्यों का विस्तृत उल्लेख 'संसदीय प्रक्रिया तथा कार्य संचालन के नियम 1950 में किया गया है। इसके अनुसार लोकसभा अध्यक्ष की शक्तियों व कार्य निम्नलिखित हैं-
1. सदन में वाद-विवाद व अभिभाषणों की समयावधि तय करना - लोकसभा अध्यक्ष को यह अनन्य अधिकार प्राप्त है कि वह सदन में विभिन्न सदस्यों के मध्य वाद-विवाद के समय का निर्धारण सदन के नेता के साथ परामर्श करके तथा साथ ही साथ वह सदन वह विभिन्न अभिभाषणों तथा राष्ट्रपति के उद्घाटन भाषण के प्रतिउत्तर में दिये जाने वाले भाषणों के समय की अवधि भी निश्चित करता है।
2. सदन का कार्यक्रम निश्चित करना - लोकसभा अध्यक्ष को यह भी अधिकार प्राप्त है कि वह सदन में कार्यक्रम को निश्चित करे। लोकसभा अध्यक्ष नेता सदन से परामर्श करके सदन के विविध कार्यक्रमों का निर्धारण करता है। सदन की कार्यवाही इसी पूर्व निश्चित कार्यक्रम के क्रमानुसार संचालित होती है।
3. सदन में प्रश्नों के भाग्य का निर्धारण करना- लोकसभा अध्यक्ष को सदन में यह भी अधिकार प्राप्त है कि वह विभिन्न सदस्यों द्वारा उठाये जाने वाले प्रश्नों के भाग्य का निर्धारण करें। लोकसभा अध्यक्ष ही प्रश्नों की जाँच करके यह तय करता है कि कौन सा प्रश्न सदन की नियमावली के तहत चर्चा हेतु स्वीकार किये जाने योग्य है अथवा नहीं। लोकसभा अध्यक्ष नियमावली के विरुद्ध उठाये जाने वाले प्रश्नों को अस्वीकार कर देता है। ऐसे प्रश्नों पर सदन में चर्चा नहीं की जा सकती।
4. कार्य स्थगन प्रस्ताव पर अनुमति प्रदान करना- लोकसभा के अन्दर किसी भी सार्वजनिक महत्व के विषय पर सदस्यों द्वारा लाये जाने वाले कार्य स्थगन प्रस्ताव को स्वीकृत अथवा अस्वीकृत करना लोकसभा अध्यक्ष का विशेषाधिकार होता है। लोकसभा अध्यक्ष की अनुमति के बिना कार्य स्थगन प्रस्ताव को सदन में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता।
5. विधेयकों का गजट में प्रकाशन कराना - लोकसभा अध्यक्ष कई विधेयकों को गजट में प्रकाशित कराता है। यदि उसकी अनुमति एवं आज्ञा से काई भी विधेयक गजट में प्रकाशित हो जाता है, तो उसे सदन में प्रस्तुत करने हेतु किसी प्रस्ताव की आवश्यकता नहीं होती।
6. सदन की विभिन्न समितियों में सक्रिय सहभागिता - लोकसभा अध्यक्ष सदन की नियम समिति' की अध्यक्षता करता है। इसी प्रकार सदन कई महत्वपूर्ण समितियो 'लोकलेखा समिति, प्राक्कलन समिति', प्रवर समिति इत्यादि के अध्यक्षों की नियक्ति लोकसभा अध्यक्ष के द्वारा ही की जाती है। इसके अतिरिक्त 'विशेषाधिकार समिति', 'शासकीय अश्वासन समिति', 'याचिका समिति', 'नियम समिति और सदन समिति के सदस्यों की नियुक्ति भी लोकसभा अध्यक्ष के द्वारा की जाती है। इस प्रकार लोकसमा अध्यक्ष की विभिन्न समितियों में सक्रिय सहभागिता होती है। इन समितियों के सदस्य व अध्यक्ष किसी भी विषय पर परामर्श वांछित होने पर लोकसभा अध्यक्ष से ही परामर्श प्राप्त करते हैं।
7. संसद और राष्ट्रपति के मध्य की कड़ी - लोकसभा अध्यक्ष संसद के प्रतिनिधि के तौर पर सदन व राष्ट्रपति के मध्य होने वाले वांछित समस्त पत्र-व्यवहारों को भी सम्पादित करता है। इस प्रकार के समस्त पत्र-व्यवहार लोकसभा अध्यक्ष द्वारा ही किये जाते हैं।
8. सदन में शान्ति व्यवस्था बनाए रखना- सदन में शान्ति व्यवस्था बनाए रखने का उत्तरदायित्व भी लोकसभा अध्यक्ष का होता है। सदन के किसी भी सदस्य द्वारा अमर्यादित आचरण करने पर लोकसभा अध्यक्ष उसे सदन से बाहर भेज सकता है तथा अनुशासनात्मक कार्यवाही भी कर सकता है। आज्ञा की अवज्ञा व नियमित रूप से अव्यवस्था फैलाने वाले सदस्यों की सदस्यता को निलम्बित करने का अधिकार भी लोकसभा अध्यक्ष को प्राप्त होता है।
9. सदन के सदस्यों के अधिकारों की रक्षा - लोकसभा अध्यक्ष को यह भी अधिकार प्राप्त है कि वह कार्यपालिका व शासन की अन्य इकाइयो एवं विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक संगठनो, व्यक्तियों व समूहों से सदन के सदस्यों के विशेषाधिकारों की रक्षा करे। इस हेतु वह विशेषाधिकार समिति के माध्यम से रिपोर्ट मंगाकर कार्यवाही कर सकता है।
10. धन विधेयकों का निर्धारण -लोकसभा अध्यक्ष को यह विशेषाधिकार प्राप्त है कि वह सदन में प्रस्तुत होने वाले किसी विधेयक के धन विधेयक होने अथवा न होने का निर्धारण करे। इस सम्बन्ध में लोकसभा अध्यक्ष का निर्णय ही अन्तिम एवं सर्वमान्य होता है।
इस प्रकार उपर्युक्त विवेचन के आधार पर स्पष्ट है कि भारतीय लोकसभा अध्यक्ष का पद सम्मान व महत्व का पद है। अपने अधिकारों व कार्यों के परिप्रेक्ष्य में इसे भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था का अहम अंग माना जा सकता है।
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- प्रश्न- संविधान सभा के प्रमुख सदस्यों की कार्यप्रणाली के विषय में बताइए तथा संविधान निर्माण की विभिन्न समितियाँ कौन-सी थी?
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- प्रश्न- लिखित व निर्मित संविधान से अभिप्राय बताइए।
- प्रश्न- संविधान सभा को कार्य निष्पादन में किन बाधाओं का सामना करना पड़ा?
- प्रश्न- संविधान सभा के कार्यकरण की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- नेहरू रिपोर्ट (1928) की प्रमुख सिफारिशें क्या थीं?
- प्रश्न- पं. नेहरू द्वारा प्रस्तुत उद्देश्य प्रस्ताव (1946) के महत्वपूर्ण प्रस्ताव क्या थे?
- प्रश्न- भारतीय संविधान की मौलिकता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम 1935 पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'प्रारूप समिति' पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- नेहरू रिपोर्ट- 1928 पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान की प्रस्तावना की भूमिका से क्या आशय है? भारतीय संविधान की प्रस्तावना उद्देश्य तथा महत्व बताइये।
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- प्रश्न- भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए
- प्रश्न- 73 वें संविधान संशोधन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संविधान की प्रकृति से आप क्या समझते हैं?
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- प्रश्न- भारतीय संविधान में केन्द्र को शक्तिशाली क्यों बनाया गया?
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- प्रश्न- एकल नागरिकता क्या है?
- प्रश्न- 'लोक कल्याणकारी राज्य' पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान के नागरिकता सम्बन्धी प्रावधानों पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- नागरिकता संशोधन अधिनियम-2019 पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में किसी भी व्यक्ति की नागरिकता किन आधारों पर समाप्त हो सकती है?
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- प्रश्न- भारतीय नागरिकों को प्राप्त मूल अधिकारों का मूल्यांकन कीजिए।
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- प्रश्न- विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर टिप्पणी लिखिए।
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- प्रश्न- अनुच्छेद 356 चौवालीसवें संविधान संशोधन विधेयक पर संक्षिप्त टिप्पणी करें।
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- प्रश्न- क्या भारतीय राष्ट्रपति 'रबर स्टैम्प' है? पुष्टि कीजिए।
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- प्रश्न- मंत्रिपरिषद में प्रधानमंत्री की विशिष्ट स्थिति पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के सम्बन्धों पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- भारत में प्रधानमन्त्री के प्रभुत्व से वृद्धि के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्रधानमंत्री वास्तविक कार्यपालक के रूप में टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रधानमन्त्री और संसद पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मंत्रिपरिषद में प्रधानमन्त्री की स्थिति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मंत्रिपरिषद के सामूहिक उत्तरदायित्व पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय संसद की संरचना का संक्षेप में वर्णन कीजिए। संसद के कार्य एवं शक्तियाँ बताइये।
- प्रश्न- राज्य सभा की संरचना, कार्य एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोकसभा की संरचना एवं लोकसभा का कार्यकाल बताते हुए इसके कार्य एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोकसभा की शक्तियों एवं स्थिति का विश्लेषण कीजिए
- प्रश्न- भारतीय लोकसभा अध्यक्ष की स्थिति, शक्तियों तथा कार्यों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- संसद में कानून निर्माण प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संसद सदस्यों के विशेषाधिकारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- लोकसभा अध्यक्ष के कार्य एवं अधिकार संक्षेप में बतायें।
- प्रश्न- राज्य सभा के पदाधिकारियों के विषय में बताइए।
- प्रश्न- वित्त विधेयक के सम्बन्ध में लोकसभा के क्या विशेषाधिकार हैं?
- प्रश्न- धन विधेयक एवं वित्त विधेयक के मध्य भेद स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संसदीय व्यवस्था की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भारतीय संसद में विपक्ष की भूमिका टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- राज्यपाल की नियुक्ति एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राज्यपाल की स्वविवेकीय कार्यों एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्रीय सरकार के प्रतिनिधि के रूप में राज्यपाल की भूमिका अथवा स्थिति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मुख्यमन्त्री की नियुक्ति किस प्रकार होती है? उसकी राज्य के शासन में क्या भूमिका और स्थिति है?
- प्रश्न- मुख्यमन्त्री की नियुक्ति, उसके अधिकार एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए एवं मन्त्रिपरिषद एवं विधानसभा के सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- राज्यपाल, मंत्रिपरिषद तथा मुख्यमंत्री के आपसी सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राज्यपाल की स्वविवेकी शक्तियों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- राज्यपाल की संवैधानिक स्थिति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'केन्द्रीय अभिकर्ता' के रूप में राज्यपाल की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- राज्यपाल का निर्वाचन क्यों नहीं होता? संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संविधान के अनुच्छेद 356 के संदर्भ में राज्य के राज्यपाल की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- मुख्यमन्त्री / मन्त्री पद की पात्रता सम्बन्धी सर्वोच्च न्यायालय के 10 सितम्बर, 2000 के निर्णय की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- 'मुख्यमंत्री चयन की राजनीति टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- विधानसभा की रचना तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- भारत के सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना और गठन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायिक समीक्षा के अधिकार का वर्णन कीजिए तथा इसका महत्व समझाइये।
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- प्रश्न- भारत में सर्वोच्च न्यायालय के संगठन, शक्तियों और कार्यों की विवेचना कीजिए। इसे भारतीय संविधान का संरक्षक क्यों कहा जाता है?
- प्रश्न- उच्च न्यायालय के गठन एवं न्यायाधीशों की नियुक्ति, कार्यकाल,शपथ एवं स्थानान्तरण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार या शक्तियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मौलिक अधिकारों के रक्षक के रूप में सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 'सामाजिक न्याय' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- न्याय पुनः निरीक्षण की शक्ति तथा उच्च न्यायालयों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में केन्द्र राज्य सम्बन्धों की स्पष्ट व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत में केन्द्र राज्य सम्बन्धों का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्र तथा राज्यों के बीच सम्बन्धों के सुधार के लिए आप किन उपायों को आवश्यक समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- राज्य स्वायत्तता (Autonomy) से आप क्या समझते हैं? संक्षेप में टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- 'सहकारी संघवाद' (Co-operative Federalism) पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीय परिषदों की स्थापना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वित्त आयोग के गठन पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय विकास परिषद के गठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लोकतान्त्रिक विकेन्द्रीकरण पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- संविधान की 5वीं एवं 6ठी अनुसूची किन क्षेत्रों को विशेष दर्जा प्रदान करती है? स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- भारत और उत्तर-पूर्व के राज्यों को लागू इनर-लाइन परमिट क्या है?
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- प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- क्या निर्वाचन आयोग एक निष्पक्ष एवं स्वतन्त्र संस्था है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मतदान व्यवहार क्या है? मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्वों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- निर्वाचन विषयक आधारभूत सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मुख्य निर्वाचन आयुक्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए
- प्रश्न- चुनाव सुधारों में बाधाओं पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्व बताइये।
- प्रश्न- चुनाव सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।